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1. What is share market ?

1.शेयर बाजार क्या होता है? जैसा कि आप और मैं सभी जानते हैं कि प्रत्येक कंपनी व्यवसाय करती हैं, और जब भी कोई कंपनी व्यवसाय शुरू करती है, तो वे अपनी खुद की एक निश्चित पूंजी के साथ व्यवसाय शुरू करती हैं | आज भारत देश में  कई प्रकार की कंपनियाँ  हैं ,जो बैंकिंग क्षेत्र, गैस और तेल क्षेत्र, चिकित्सा क्षेत्र के साथ IT और FMCG क्षेत्र में  कार्य कर रही हैं | Hdfc bank, Icici bank, Punjab national bank (बैंकिंग क्षेत्र) की कंपनियाँ हैं | Ongc गैस और तेल क्षेत्र तथा Aurobindo pharma, Cipla, Glenmark यह सभी कंपनियाँ चिकित्सा क्षेत्र की कंपनियाँ हैं | इनके अलावा Infosys, Wipro और TCS जैसी कंपनियाँ हैं जो वर्तमान में IT के क्षेत्र में कार्य कर रही हैं | ITC, Britannia, Dabur India और Godrej consumer products के साथ Emami, Marico आदि वह कंपनियाँ है, जो FMCG के क्षेत्र में कार्य कर रही हैं | जब भी किसी कंपनी का कारोबार बढ़ता है, तो कंपनी को कारोबार के विस्तार के लिए अतिरिक्त पूंजी की भी जरूरत होती है | जिस तरह एक आम व्यापारी अपने रिश्तेदारों या बैंक से व्यापार के लिए पूंजी उधार लेता है, उसी तरह बड़ी  कंपनियाँ भी व्यापार करने के लिए बैंक से कर्ज या उधार (लोन ) लेती हैं | लेकिन कर्ज या उधारी की एक सीमा होती है, और जब किसी कंपनी को देश के कई  राज्यों के साथ-साथ विदेशों में भी कारोबार का विस्तार करना है, तो उसे अतिरिक्त पूंजी की जरूरत होगी | यही से शेयर बाजार कि शुरुआत होती हैं | शेयर आम तौर पर कंपनी द्वारा पैसे जुटाने के लिए जारी किया जाता हैं | प्रत्येक शेयर को खरीदने के लिए एक मूल्य होता हैं ,जो शेयर बाजार के उतार – चढ़ाव के साथ कम या ज्यादा होता रहता हैं | शेयर कंपनी के पूरे हिस्से का एक भाग हैं | इसलिए यदि आप कंपनी का एक भाग खरीदते हैं , तो आप कंपनी का उस अनुपात में  हिस्सेदार  बन जाते हैं | ‘Share’ English का ही एक शब्द हैं जिसका हिन्दी में  मतलब ‘हिस्सा’ होता हैं | आसान शब्दों में यदि कहा जाए तो शेयर बाजार किसी भी कंपनी के व्यापार विस्तार के लिए अतिरिक्त पूंजी जुटाने का काम ही करता हैं | यहाँ से आगे शेयर बाजार की कार्य – प्रणाली  समझने से पहले आप यह समझे कि  बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) क्या हैं ? Stock Exchange क्या होता हैं? BSE और NSE को समझने से पहले आप यह समझे की स्टॉक एक्सचेंज क्या होता हैं? Stock का मतलब किसी कंपनी के शेयर से ही हैं, और Exchange का मतलब लेन-देन होता हैं, तो इस प्रकार एक स्टॉक एक्सचेंज शेयर बाजार में कंपनी शेयरों के लेन -देन के लिए कार्य करता हैं | यदि कोई कंपनी अपने शेयर को बेचती हैं, तो उसे स्टॉक एक्सचेंज में पंजीकृत (register) होना चाहिये | एक बार पंजीकृत होने के बाद कंपनी शेयर को सूचीबद्ध (listed ) कर सकती हैं, या ऐसे कहे की कंपनी अपने शेयर को बेचने के लिए जारी कर सकती हैं | जो भी व्यक्ति किसी कंपनी के शेयर खरीदना चाहता हैं, वह  ब्रोकर्स (दलाल ) के माध्यम से एक्सचेंज से जुड़ सकते हैं | कोई भी व्यक्ति शेयर बाजार में  सीधे शेयर नहीं खरीदता हैं, बल्कि ब्रोकर्स (दलाल) के माध्यम से ही खरीदता हैं | ब्रोकर्स के बारे में  हम आगे पढ़ेंगे | तो इस प्रकार शेयर बेचने और खरीदने में  कंपनी और ब्रोकर्स के बीच में  एक्सचेंज अपनी मध्यस्थता निभाता हैं | बॉम्बे  स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और नेशनल  स्टॉक एक्सचेंज (NSE) भारतीय शेयर बाजार में  दो प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज हैं | Bombay Stock Exchange बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज एशिया का सबसे पुराना एक्सचेंज हैं , जिसकी स्थापना का श्रेय चार गुजरातियों और एक पारसी को जाता हैं | यह सभी सन् 1850 के आस-पास अपने कारोबार के सिलसिले में  मुंबई (तब बॉम्बे) के टाउन  हॉल (चर्च गेट इलाके ) के सामने बरगद के एक पेड़ के नीचे बैठक किया करते थे | पर्याप्त जानकारी तो नहीं हैं पर तक मेरा मानना हैं ,यह सभी व्यक्ति एक दूसरे के व्यापार में  लाभ के लिए अपनी  कुछ पूंजी का निवेश करते थे और अपनी हिस्सेदारी (शेयर) खरीदते थे | साल दर साल बरगद के इस पेड़ के नीचे बैठक करने वाले व्यक्तियों की संख्या में  बढ़ोतरी होती रही ,और बढ़ते-बढ़ते 318 व्यक्तियों ने 1 रुपए के प्रवेश शुल्क के साथ शेयर बाजार शुरू किया  | यहाँ ये सभी व्यक्ति एकत्रित होते थे और आपस में  शेयरों का सौदा किया करते थे | 1875 में इन सभी ने अपना ‘द नेटिव शेयर एण्ड स्टॉक ब्रोकर्स एसोसिएशन ‘बना लिया और साथ ही वर्तमान दलाल स्ट्रीट पर एक ऑफिस भी खरीद लिया जिसे आज ‘बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज’ के नाम से जाना जाता हैं | वर्तमान में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज Ministry of finance (Government of India) के अंतर्गत काम करता हैं | किसी भी नई कंपनी के शेयर के पंजीकृत होने से लेकर कंपनी के शेयर खरीदने से बेचने तक की सभी प्रक्रियाएँ बीएसई के माध्यम से पूरी होती हैं | वर्तमान में BSE में 5749 कंपनियाँ सूचीबद्ध हैं | SENSEX: – Stock Exchange Sensitive Index SENSEX, BSE यानी बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का एक सूचक अंक हैं, जिसे सूचकांक कहा जाता हैं | सेंसेक्स के सूचकांक में कोई कंपनी कितनी बड़ी हैं, इस आधार पर देश के 13 अलग -अलग सेक्टर से 30 सबसे बड़ी कंपनियों को शामिल किया जाता है | इसमें टीसीएस, इंफोसिस, हिंदुस्तान यूनीलिवर, रिलायंस, भारती एयरटेल जैसी बड़ी कंपनियाँ शामिल हैं | सेंसेक्स की शुरुआत 1 जनवरी 1986 को की गई थी। इसमें कुल 30  कंपनियाँ शामिल हैं। इस कारण इसको BSE 30 के नाम से भी जाना जाता है। सेंसेक्स के उतार चढ़ाव से ये पता चलता है कि देश की बड़ी कंपनियों और शेयर बाजार की क्या स्थिति है ?  यदि किसी दिन सेंसेक्स बढ़ता हैं तो यह इस बात का संकेत हैं की देश की 30 बड़ी कंपनियों में  आज औसतन तेजी हैं | यदि किसी दिन सेंसेक्स गिरता हैं, तो यह इस बात का संकेत हैं की देश की 30 बड़ी कंपनियों में  आज औसतन

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2. What is the difference between Investing and trading in share market ?

2.शेयर बाजार में  Investment और Trading में क्या अंतर हैं ? जब भी कोई व्यक्ति शेयर बाजार में आता हैं तो उस व्यक्ति को यह तय करना पड़ता हैं की वह शेयर बाजार में क्या करना चाहता हैं ? अब जैसे की आप जान चुके हैं शेयर बाजार क्या हैं ? और यह कैसे काम करता हैं ? तो आपको यह भी जानना जरूरी हैं की Investment ( निवेश ) और Trading (व्यापार) में  क्या अंतर हैं ? सामान्य शब्दों में  कहा जाए तो शेयर बाजार एक निवेश बाजार हैं , जब आप किसी कंपनी के व्यापार में  अपनी हिस्सेदारी खरीदते हैं तो नफा – नुकसान आपको उसी अनुपात में  मिलेगा जिस अनुपात में  आपका खरीदा हुआ शेयर ऊपर या नीचे जाता हैं | अब मान लीजिए की आपके शेयर खरीदने के बाद उस कंपनी का शेयर 5 % ऊपर जाता हैं, तो आपको लाभ होगा | यदि आपने 1,00,000 रुपए के शेयर खरीदे हैं, तो आपको 5% के हिसाब से 5000 रुपए का लाभ होगा और यदि आपने ने 10,000 रुपए के शेयर खरीदे हैं, तो 5% के हिसाब से आपको 500 रुपए  का ही लाभ होगा | समझने के लिए  यह बहुत ही सामान्य बात हैं | Investment Investment  (निवेश ) वो हैं,जो किसी कंपनी के व्यावसायिक भविष्य को देखकर ही किया जाता हैं | जैसे मान लीजिए किसी कंपनी का पिछले 10 सालों का इतिहास यह हैं ,की उस कंपनी ने बहुत ही बढ़िया व्यवसाय किया हैं | साल दर साल उस कंपनी ने एक निश्चित दर से अपने व्यापार को बढ़ाया भी हैं,और कंपनी साल दर साल अपने लाभ में  भी बढ़ोतरी करती जा रही हैं | तो कोई व्यक्ति ऐसी कंपनी के व्यवसाय में  अपनी हिस्सेदारी खरीद सकता हैं ,और लंबे समय के लिए अपनी पूंजी को निवेश कर सकता हैं | जिसका प्रतिफल उस व्यक्ति को  कुछ सालों बाद मिलेगा | निवेश करने के बाद किसी कंपनी के शेयर को लंबे समय तक यदि कोई व्यक्ति अपने पास रखता हैं ,तो कंपनियाँ उस व्यक्ति को कई अन्य तरह के फायदे भी देती हैं | जैसे :- बोनस शेयर, अर्थात जीतने शेयर आपके पास हैं, कंपनी उतने शेयर आपको ओर दे देती हैं | लाभांश (Dividend) भी कंपनियाँ अपने निवेशकों को  देती हैं जिसका मतलब हैं, कंपनी जब लाभ कमाती हैं तो उस लाभ का कुछ अंश /हिस्सा प्रति शेयर के हिसाब से निवेशकों को लाभ के रूप में दे देती हैं | यहाँ पर एक बात और महत्वपूर्ण हैं की जब भी आप किसी कंपनी में  निवेश करते हैं तो आपको लाभ प्रतिशत के रूप में  मिलता हैं | जैसे आप किसी कंपनी में  निवेश करते हैं और 15 से 20 प्रतिशत का लाभ एक साल में  चाहते हैं, तो कभी-कभार ये लाभ आपको 4 अथवा 5 महीनों में  ही मिल सकता हैं , तो अब ये आप पर निर्भर हैं की आप उस कंपनी के शेयर बेच दे या उस कंपनी के शेयर अपने पास रखे | इसी पुस्तक के Fundamental analysis section में  हम इन सब बातों पर ओर चर्चा करेंगे | Risk management के अध्याय में हम यह भी सीखेंगे की किसी भी कंपनी के शेयर को कब तक अपने पास रखना हैं ? और किस प्रकार खरीदे हुए शेयरों का प्रबंधन करना हैं ? Trading Trading  एक अंग्रेजी भाषा का शब्द हैं जिसका सामान्य मतलब होता हैं ‘व्यापार’ | देखिए शेयर बाजार एक ऐसी जगह हैं, जहाँ उतार-चढ़ाव आते ही रहते हैं और हर कंपनी के शेयर का एक भाव या मूल्य होता हैं, जो कम समय में  कभी ऊपर जाता हैं और कभी नीचे जाता हैं | यदि कोई भी व्यक्ति जो कम समय में  होने वाले उतार –चढ़ाव को भली भांति समझता हैं,तो वह चाहे तो किसी कंपनी के शेयर को 5 min. / 15 min. / 1 hour /4 hour /1 day /1 week के हिसाब से कम समय के लिए भी खरीद सकता हैं | अतः कम समय में लाभ कमाने के लिए शेयर बाजार में  Trading की जाती हैं | Intraday Trading  जब भी कोई व्यक्ति शेयर खरीदता हैं और उसी दिन उस शेयर में  लाभ हो या हानि हो , वापिस बेच देता है, तो यह trading, Intraday trading कहलाती हैं | जब व्यक्ति इस तरह की Intraday trading करता हैं, तो वो पहले से तय  करता हैं की उसको कितना लाभ कमाना है ? या कितनी हानि होने पर वह शेयर को वापिस बेच देगा ?                               Swing Trading  जब भी कोई व्यक्ति शेयर खरीदता हैं और 15 से 20 दिनों के अंदर उस शेयर में लाभ हो या हानि हो , वापिस बेच देता हैं तो यह trading, swing trading  कहलाती हैं | जब व्यक्ति इस तरह की Swing trading करता हैं, तो वो पहले से तय करता हैं की उसको कितना लाभ कमाना है ? या कितनी हानि होने पर वह शेयर को वापिस बेच देगा ? जैसे मान लीजिए  किसी ने SBI का शेयर 600 रुपए के मूल्य पर खरीदा हैं, तो वह पहले से तय करेगा की यदि शेयर ऊपर की तरफ जाता हैं तो वह 640 के मूल्य पर इसे बेच देगा | या उस व्यक्ति की अपेक्षा के अनुसार शेयर ऊपर नहीं जाकर नीचे जाता हैं, तो वह 580 के मूल्य पर इसे बेच देगा |             शायद आप यही सोच रहे होंगे की यह सब मूल्य हम पहले से कैसे तय कर सकते हैं ? इसके लिए Technical analysis क्या होता हैं ? इसकी आपको समझ होनी ही चाहिये | यदि बिना Technical analysis को  समझे आप Swing trading / Intraday trading करेंगे तो वह Trading  नहीं Gambling (जुआ) कहलाएगी | वर्तमान में शेयर बाजार में Trading करने का तरीका बदल चुका हैं | अब आप चाहे तो किसी कंपनी का शेयर खरीदने के बजाय उस कंपनी के Derivative segment में भी trading सकते हैं जिसके अंदर Future and option में trading की जाती हैं | और साथ ही आप Nifty and Bank nifty Index के Future And Option Segment में भी trading कर सकते हैं |             मुझे उम्मीद हैं आप Investment और  Trading को समझ चुके होंगे लेकिन Technical analysis और Future and Option

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3. Who is a broker in share market ?

3.शेयर बाजार में ब्रोकर कौन होता हैं? शेयर बाजार सीखने की इस कड़ी में हम बात करेंगे की एक Broker (दलाल )कौन होता हैं ? देखिए कोई भी व्यक्ति जो दो व्यक्तियों को किसी एक निश्चित कार्य के लिए आपस में  मिलाता हैं तो वह ब्रोकर हैं | यह कार्य किसी निश्चित लक्ष्य की प्राप्ति के लिए किया जाता हैं | हो सकता हैं की दोनों मिलने वाले व्यक्ति किसी व्यावसायिक कार्य के लिए मिले | या दो पक्षों में  से किसी एक को कुछ बेचना हो और दूसरे को खरीदना हो | ठीक इसी प्रकार शेयर बाजार में  ब्रोकर वो होता हैं,जो आपको किसी कंपनी का शेयर खरीदने या बेचने के लिए एक माध्यम उपलब्ध करवाता हैं | जब एक ब्रोकर आपको माध्यम उपलब्ध करवाता हैं तो वह आपसे trading और investment के बदले में  commission भी लेता हैं,और इस तरह वह ब्रोकर लाभ कमाता हैं |                   वर्तमान में  माध्यम का मतलब एक Electronic  Trading  Platform से हैं, जहाँ से आप शेयर खरीद सकते हैं | ये सभी Trading Platform इन Brokers के द्वारा ही संचालित किए जाते हैं | भारत में  कई तरह की Broker companies  हैं, जैसे Motilal oswal, Share khan, Angel one, Upstox, Zerodha, Alice blue आदि | यह सभी Trading Platform, Mobile App के माध्यम से या इन Companies की Website के माध्यम से Online  संचालित होते हैं | और यह  सभी App Google Play Store  पर उपलब्ध हैं, जहाँ से आप इन्हें Download  कर इन ब्रोकर्स से जुड़ सकते हैं, और शेयर बाजार में Trading या Investment कर सकते हैं | मुझे उम्मीद हैं अब आप यह  जान चुके हैं की एक Broker की शेयर बाजार में  क्या भूमिका होती हैं |

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5.What is a Demat account in share market ?

5.शेयर बाजार में Demat Account क्या होता हैं ? अब तक आप जान चुके है की शेयर ब्रोकर्स क्या होते हैं ? और यह शेयर बाजार में किस तरह से शेयर खरीदने और बेचने के लिए Trading platform उपलब्ध करवाते हैं | तो जब भी आप किसी ब्रोकर से जुड़ेंगे तो आप को Broker की ओर से एक Demat account खोलने के लिए कहा जाएगा | Demat का Full form ‘Dematerialized account’ होता हैं | यह खाता आपको शेयर बाजार में खरीदे गए शेयर, Mutual fund, ETF जैसे वितीय उत्पादों को संग्रहीत (स्टोर) करने की सुविधा देता हैं | वितीय उत्पाद क्या होते हैं? इस को लेकर आप असमंजस में ना पड़े | क्योंकि आप शेयर के बारे में जान चुके हैं, Mutual fund,ETF जैसे वितीय उत्पादों के बारे में इस पुस्तक के अंत में जानकारी दे दी जायेगी | सीधे शब्दों में कहे तो एक Demat account बैंक लॉकर की तरह कार्य करता हैं ,जो आपके शेयर को संग्रहीत करता हैं और सुरक्षित रखता हैं | आपका Demat Account  Broker के माध्यम से ही खुलता हैं, लेकिन यह Account NSDL ( National Securities Depository Limited ) या CDSL ( Central Depository Services Limited) में  खोला जाता हैं | अब आप यह सोच रहे होंगे की NSDL या CDSL क्या हैं ? तो जैसे की आप जानते हैं एक्सचेंज से शेयर खरीदे या बेचे जाते हैं | ( SEBI ) सेबी शेयर बाजार की निगरानी करता हैं | ठीक वैसे ही NSDL या CDSL दो ऐसे संस्थान हैं, जो आपके द्वारा खरीदे गए शेयर का प्रबंधन करता हैं | या ऐसे कहे की आपके द्वारा खरीदे हुए शेयर सुरक्षित रूप से अपने पास रखता हैं | आसान शब्दों में समझा जाए तो जब कोई व्यक्ति शेयर बाजार में आता हैं, तो Broker से जुडने के बाद Demat Account खोलता हैं, और NSE और BSE के माध्यम से शेयर खरीदता या बेचता हैं | SEBI इन सब की निगरानी करता हैं, और आपके शेयर तब तक NSDL या CDSL में सुरक्षित रहते हैं जब तक आप इन्हें वापिस बेचते नहीं हैं |

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6.What is the role of share market in India and in Indian economy?

6.शेयर बाजार का भारत और भारतीय अर्थव्यवस्था में क्या योगदान हैं ? विश्व के किसी भी देश की अर्थव्यवस्था इस आधार पर टिकी रहती हैं, की उस देश में मांग और पूर्ति का अनुपात संतुलित हैं या नहीं, आज भारतीय अर्थव्यवस्था जिस गति से आगे बढ़ रही हैं उसमें  सभी वर्गों का योगदान हैं, लेकिन उधोग/व्यापार  सभी वर्गों की जड़ हैं | क्यों की उधोग / व्यापार बढ़ने से रोजगार के अवसर पैदा होते हैं ,जिससे देश में निचले स्तर की श्रम शक्ति को मजबूती मिलती हैं और जब भी कोई देश या देश की अर्थव्यवस्था निचले स्तर से मजबूत होने लग जाती तो ऊपरी स्तर पर स्वतः ही मजबूती मिल जाती हैं | लेकिन कोई भी व्यवसाय सीमित पूंजी के साथ बड़ा व्यवसाय नहीं बन सकता हैं | किसी भी कंपनी को देश-विदेश में अपनी कार्य- प्रणाली को सुचारु रूप से चलाने के लिए अतिरिक्त पूंजी की आवश्यकता होती ही हैं | अगर पूंजी जुटाने के लिए शेयर बाजार जैसे माध्यम ना हो तो कंपनी का व्यापार पर्याप्त पूंजी के बिना सीमित हो जाएगा |  तो कुछ हद तक आप यह समझ चुके हैं, की किसी भी अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ने में शेयर बाजार का क्या योगदान हैं | दोस्तों, दुनिया के प्रत्येक देश का एक वितीय लक्ष्य होता हैं ,और वो देश उस लक्ष्य को एक तय समय में  हासिल करना चाहता हैं |  वितीय लक्ष्य से मेरा मतलब हैं की प्रत्येक देश की सरकार को यह तय करना पड़ता हैं, की उस देश की अर्थव्यवस्था हर साल किस दर से प्रगति करेगी अर्थात आगे बढ़ेगी ?  उस लक्ष्य को साल दर साल जब वो देश हासिल करता हैं, तो साल दर साल उस देश की अर्थव्यवस्था भी मजबूत होती जाएगी | क्योंकि अर्थव्यवस्था ही यदि मजबूत नहीं होगी तो उस देश और देश के लोगों के सामने संकट पैदा हो जाएगा | संकट से मेरा तात्पर्य आर्थिक मंदी से हैं , जिसमें  रोजगार के अवसर कम हो जाते हैं | मांग और पूर्ति का संतुलन बिगड़ जाता | महंगाई बढ़ जाती हैं | आसान शब्दों में समझा जाए तो यह एक कड़ी हैं जो आपस में जुड़ी हुई हैं, और  परस्पर एक दूसरे पर निर्भर हैं | हर अर्थव्यवस्था उधोग-धंधों/व्यापार पर टिकी रहती हैं,हर व्यापार पर्याप्त पूंजी से चलता हैं,और पूंजी शेयर बाजार जैसे माध्यमों  से जुटायी जाती हैं |

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8. Is the share market a gambling market ?

8.क्या शेयर बाजार एक जुआ बाजार हैं ? अगर एक लेखक के तौर पर आप मुझसे पूछे तो मेरा मानना हैं की शेयर बाजार एक जुआ बाजार नहीं हैं | हर्षद मेहता मामले  के बाद भारत में  शेयर बाजार को लेकर लोगों का नजरिया बदल गया था और समय के साथ उस नजरिये में  कोई खास बदलाव नहीं आया | क्यों की एक बार जब किसी विषय पर हमारी एक सोच-समझ बन जाती हैं तो ,फिर वो जीवन भर नहीं बदलती हैं | अगर हम बदलना चाहे तो उसके लिए कोई ठोस कारण चाहिए | इन सब के बाद एक आम आदमी जब शेयर बाजार में  प्रवेश करता हैं, तब उसके सामने तरह-तरह की सूचनाएँ होती हैं , सूचनाओं से मेरा मतलब हैं की आज के समय में  टीवी चैनलों ,सोशल मीडिया,समाचार पत्र और पत्रिकाओं के माध्यम से  शेयर बाजार को लेकर कई तरह की सूचनाएँ हमारे सामने आ जाती हैं |  इन सूचनाओं के माध्यम से व्यक्ति  शेयर बाजार को समझे बिना निवेश करता हैं ,निवेश करने के बाद  शेयर बाजार में  उतार – चढ़ाव जारी रहता हैं, और उसके किए गए निवेश में  लाभ -हानि  भी होती  रहती  हैं | जैसे ही उसके निवेश पर उसको हानि होती हैं, उस समय कहीं ना कहीं उस नए आम निवेशक का बाजार को लेकर जो नजरिया था वह उस पर हावी हो जाता हैं, और यही से तय हो जाता हैं की उसके निवेश पर उसको लाभ होगा या हानि होगी | क्योंकि जब व्यक्ति डर का सामना करता हैं,तब सही निर्णय नहीं ले पाता हैं और जब हानि होती हैं तो जाहिर सी बात हैं, एक आम आदमी जिसके अंदर शेयर बाजार का भय पहले से व्याप्त हैं, वो इसको कुछ हद तक जुआ बाजार भी समझ सकता हैं | तो निष्कर्ष  यह की जब तक आप स्वयं शेयर बाजार के बारे में  सामान्य जानकारी नहीं रखते हैं, तब तक आप निवेश ना करें तो बेहतर हैं | एक लेखक के तौर पर मैं  इस बात का समर्थन नहीं करता हूँ की टीवी चैनलों ,सोशल मीडिया,समाचार पत्र और पत्रिकाओं के माध्यम से हमे शेयर बाजार संबंधी जो सूचनाएँ मिलती हैं, वो हमे हानि पहुंचाती हैं | यदि सूचनाओं को समझने और विश्लेषण करने की हमारे अंदर क्षमता नहीं हैं, तो हमे  इन सूचनाओं के आधार पर कभी निवेश नहीं करना चाहिए | आज इन्हीं सूचनाओं के माध्यम से मैं  शेयर बाजार को और अच्छे तरीके से समझ पाया हूँ | क्यों की शेयर बाजार मनोविज्ञान पर आधारित बाजार हैं, जिसका व्यवहार या मौलिक ढांचा समझने की आवश्यकता हैं | सबसे बेहतर यही हैं की आप किसी Investment adviser से सलाह ले , साथ ही मेरा यह भी मानना हैं की आपको शेयर बाजार की सामान्य जानकारी तो होनी ही चाहिये | शेयर बाजार को लेकर मेरी एक सोच हैं की “यदि मेरा नजरिया एक निवेशक का हैं, तो शेयर बाजार मेरे लिए एक निवेश बाजार हैं | यदि मेरा नजरिया एक व्यापारी/trader का हैं, तो शेयर बाजार मेरे लिए  एक व्यापार बाजार/trading market हैं और यदि मेरा नजरिया ही एक जुआरी का हैं, तो शेयर बाजार मेरे लिए  एक जुआ बाजार हैं | शेयर बाजार कोई बाहरी चीज नहीं हैं, ये हमारे अंदर अस्तित्व रखता हैं |

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9. Can there be losses in share market ?

9.क्या शेयर बाजार में नुकसान हो सकता हैं ? क्या शेयर बाजार में  नुकसान हो सकता हैं ?  अगर आप मुझसे एक शब्द में इस प्रश्न का उतर पूछे तो मेरा जवाब हैं , हाँ शेयर बाजार में नुकसान हो सकता हैं | लेकिन यदि इस प्रश्न की व्याख्या की जाए तो हम बात को ओर गहराई से समझ सकते हैं | जहाँ तक मेरा मानना हैं इस बात को समझने की आवश्यकता हैं की हर व्यवसाय में  प्रत्येक व्यवसायी को कभी ना कभी लाभ के साथ हानि भी उठानी पड़ सकती हैं | महत्वपूर्ण यह हैं की आप उस नुकसान से कैसे बच सकते हैं ? या आप लाभ ज्यादा कमाते हैं तो व्यवसाय में  छोटे-छोटे नुकसान मायने नहीं रखते हैं | नुकसान की हम सभी के लिए अपनी-अपनी एक परिभाषा हैं | कुछ नुकसान हमें  मानसिक तौर पर हानि पहुंचाते हैं, और कुछ नुकसान हमें  शारीरिक तौर पर हानि पहुँचाते हैं | शेयर बाजार का नुकसान आर्थिक नुकसान हैं, जो मानसिक तौर पर हमें हानि पहुंचाता हैं ,और हर व्यक्ति की नुकसान की परिभाषा इस बात से बनती हैं की उसके आर्थिक हालात कैसे हैं ? अगर नुकसान की बात की जाए तो दोपहिया अथवा चौपहिया वाहन चलाने से भी हादसे होने की संभावना बनी रहती हैं | किसी मानवीय गलती या तकनीकी खराबी से कभी -कभार हवा में उड़ता हुआ हवाई जहाज भी नीचे भी गिर सकता हैं | टाइटैनिक जैसे बड़े जहाज भी पानी में  डूब सकते हैं, अब  यदि नुकसान होने के सभी पहलुओं पर विचार किया जाए तो एक बात बिल्कुल साफ हैं की अधिकांश नुकसान किसी ना किसी कारण से होते हैं | यह कारण मानवीय भूल या गलती ,तकनीकी खराबी,किसी कार्य को करने में  अनुशासन और ज्ञान  की कमी आदि हो सकते हैं | शेयर बाजार ऐसी जगह हैं,जहाँ होने वाले नुकसान के मुख्य कारणों में  से एक कारण हैं, ‘अनुशासन और ज्ञान की कमी’  (Lack of Discipline and Knowledge) यदि हम अनुशासन और  ज्ञान के साथ शेयर बाजार में  प्रवेश करते हैं  तो हमारा  नुकसान नहीं होगा या नुकसान होगा भी तो हम अपने नुकसान को सीमित कर सकते हैं |  ज्ञान से मेरा यहाँ मतलब उस सामान्य ज्ञान से हैं ,जो शेयर बाजार में  प्रवेश करने से पहले हर व्यक्ति को होना ही चाहिए |   शेयर बाजार में  अनुशासन के महत्व के  बारे में  हम इस पुस्तक में  आगे चर्चा करेंगे | अब एक उदाहरण के तौर पर मान लीजिए की किसी वाहन की सर्विस हुई  हो, वाहन चलाने की गति नियंत्रण में  हो, सीट बेल्ट लगाई हुई हो और वाहन अनुशासन के साथ चलाना सीखा हो तो हादसे टाले भी जा सकते हैं | या नियति को हादसा ही मंजूर हो तो अनुशासन के साथ चलने से संभवतः जान तो बच ही सकती  है| अब यदि ठीक इसके विपरीत बात की जाए तो मान लीजिए किसी वाहन की गति यदि  130 km/hr हो , वाहन की सर्विस नहीं हुई हो , सीट बेल्ट नहीं लगी हो , गाड़ी के टायर भी पुराने हो , इसके बाद यदि हादसा हो जाए तो आप किसकी गलती मानेंगे ? ठीक इसी प्रकार शेयर बाजार वाहन हैं और एक निवेशक वो वाहन चालक हैं जिसमें  या तो अनुशासन और समझ हो सकती हैं या नहीं | शेयर बाजार में  निवेश के लिए अनुशासन और समझ एक निवेश सलाहकार (Investment adviser ) के पास होती हैं | अतः आप निवेश से  पहले निवेश सलाहकार से सलाह ले या आप स्वयं शेयर बाजार को समझने के बाद ही निवेश करें| निष्कर्षत: अनुशासन और समझ से हमारा नुकसान नहीं होगा या नुकसान  होगा भी तो नुकसान को सीमित/कम किया जा सकता हैं | 

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10. When should you enter in share market ?

10.शेयर बाजार में आपको कब प्रवेश करना चाहिए ? इस पुस्तक में अब तक आपने जो पढ़ा,वह सभी सामान्य जानकारियाँ हैं | एक लेखक के तौर पर मैं उम्मीद करता हूँ की यह सभी जानकारियाँ महत्वपूर्ण होगी |  लेकिन सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न यह की किसी भी व्यक्ति को शेयर बाजार में  कब प्रवेश करना चाहिए ?  यदि शेयर बाजार में  प्रवेश करने की बात की जाए तो यह किसी भी व्यक्ति की आर्थिक स्थिति पर निर्भर करता हैं | इसी पुस्तक में  हमने Investment और trading के बारे में  बात की थी | अब यदि आप शेयर बाजार में  Investment (निवेश ) करना चाहते हैं, तो इसके लिए कई अन्य बाते बहुत महत्वपूर्ण हैं | जैसे की आप जानते हैं वर्तमान में  लोग जमीन / मकान या फ्लैट / गोल्ड आदि में  निवेश करते हैं | क्योंकि अधिकतर लोग निवेश  के इन साधनों को ‘सुरक्षित निवेश’ मानते हैं | यह सभी निवेश कोई भी व्यक्ति तभी कर पाएगा जब वह आर्थिक रूप से सक्षम होगा और यदि कोई व्यक्ति आर्थिक रूप से सक्षम हैं, तब संभव हैं की उस व्यक्ति के पास अतिरिक्त बचत भी होती होगी | अतः मेरा यह मानना हैं, की जिस व्यक्ति के पास अतिरिक्त बचत हो, उसे शेयर बाजार में  निवेश सलाहकार के माध्यम से निश्चित रूप से प्रवेश करना ही चाहिए |  अगर मैं गलत हूँ तो मुझे क्षमा करें, पर मेरा व्यक्तिगत तौर पर मानना की  शेयर बाजार में  निवेश करने के लिए आप कभी भी उस पैसे का इस्तेमाल ना करें जो आपने किसी से लोन / उधार लिया हैं | यदि आप आर्थिक रूप से स्वयं पर निर्भर हैं, तो शेयर बाजार आपके लिए निवेश का बढ़िया विकल्प हो सकता हैं | जिस प्रकार Investment करने के कुछ नियम होते हैं, ठीक उसी प्रकार Trading के भी कुछ नियम होते हैं | आप कभी भी यह ना सोचे की Intraday trading और Swing trading  कम समय के लिए की जाती तो आप इसे उधार/ लोन के पैसे से कर सकते हैं | कभी भी किसी से लिए हुए उधार या लोन के पैसों से Trading ना करें|  मैं यहाँ एक बात आपको ओर बताना चाहता हूँ की यदि आप trading सीखना चाहते हैं तो कम पैसों के साथ भी Trading सीखने की शुरूआत की जा सकती हैं | लेकिन फिर भी शेयर बाजार का मूलभूत नियम यही हैं की शेयर बाजार में प्रवेश करने वाले नये व्यक्ति का पैसा उसका स्वयं का ही होना चाहिए | तो मुख्य बात यही हैं की यदि आपके पास आय का कोई बढ़िया स्रोत हैं और सुरक्षित निवेश करने के बाद यदि अतिरिक्त बचत भी हो तो आपको शेयर बाजार में  प्रवेश करना ही चाहिए | यह सब करने से पहले आप चाहे तो किसी निवेश सलाहकार से सलाह ले या शेयर बाजार के प्रति आप इस पुस्तक के साथ अन्य साधनों से भी अपनी समझ विकसित करें जिससे आप खुद निर्णय ले सके | इस पुस्तक में  आगे हम इस विषय पर ओर चर्चा करेंगे | 

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