1.शेयर बाजार क्या होता है?
जैसा कि आप और मैं सभी जानते हैं कि प्रत्येक कंपनी व्यवसाय करती हैं, और जब भी कोई कंपनी व्यवसाय शुरू करती है, तो वे अपनी खुद की एक निश्चित पूंजी के साथ व्यवसाय शुरू करती हैं | आज भारत देश में कई प्रकार की कंपनियाँ हैं ,जो बैंकिंग क्षेत्र, गैस और तेल क्षेत्र, चिकित्सा क्षेत्र के साथ IT और FMCG क्षेत्र में कार्य कर रही हैं |
Hdfc bank, Icici bank, Punjab national bank (बैंकिंग क्षेत्र) की कंपनियाँ हैं | Ongc गैस और तेल क्षेत्र तथा Aurobindo pharma, Cipla, Glenmark यह सभी कंपनियाँ चिकित्सा क्षेत्र की कंपनियाँ हैं | इनके अलावा Infosys, Wipro और TCS जैसी कंपनियाँ हैं जो वर्तमान में IT के क्षेत्र में कार्य कर रही हैं | ITC, Britannia, Dabur India और Godrej consumer products के साथ Emami, Marico आदि वह कंपनियाँ है, जो FMCG के क्षेत्र में कार्य कर रही हैं |
जब भी किसी कंपनी का कारोबार बढ़ता है, तो कंपनी को कारोबार के विस्तार के लिए अतिरिक्त पूंजी की भी जरूरत होती है | जिस तरह एक आम व्यापारी अपने रिश्तेदारों या बैंक से व्यापार के लिए पूंजी उधार लेता है, उसी तरह बड़ी कंपनियाँ भी व्यापार करने के लिए बैंक से कर्ज या उधार (लोन ) लेती हैं |
लेकिन कर्ज या उधारी की एक सीमा होती है, और जब किसी कंपनी को देश के कई राज्यों के साथ-साथ विदेशों में भी कारोबार का विस्तार करना है, तो उसे अतिरिक्त पूंजी की जरूरत होगी | यही से शेयर बाजार कि शुरुआत होती हैं |
शेयर आम तौर पर कंपनी द्वारा पैसे जुटाने के लिए जारी किया जाता हैं | प्रत्येक शेयर को खरीदने के लिए एक मूल्य होता हैं ,जो शेयर बाजार के उतार – चढ़ाव के साथ कम या ज्यादा होता रहता हैं | शेयर कंपनी के पूरे हिस्से का एक भाग हैं | इसलिए यदि आप कंपनी का एक भाग खरीदते हैं , तो आप कंपनी का उस अनुपात में हिस्सेदार बन जाते हैं | ‘Share’ English का ही एक शब्द हैं जिसका हिन्दी में मतलब ‘हिस्सा’ होता हैं |
आसान शब्दों में यदि कहा जाए तो शेयर बाजार किसी भी कंपनी के व्यापार विस्तार के लिए अतिरिक्त पूंजी जुटाने का काम ही करता हैं | यहाँ से आगे शेयर बाजार की कार्य – प्रणाली समझने से पहले आप यह समझे कि बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) क्या हैं ?
Stock Exchange क्या होता हैं?
BSE और NSE को समझने से पहले आप यह समझे की स्टॉक एक्सचेंज क्या होता हैं? Stock का मतलब किसी कंपनी के शेयर से ही हैं, और Exchange का मतलब लेन-देन होता हैं, तो इस प्रकार एक स्टॉक एक्सचेंज शेयर बाजार में कंपनी शेयरों के लेन -देन के लिए कार्य करता हैं | यदि कोई कंपनी अपने शेयर को बेचती हैं, तो उसे स्टॉक एक्सचेंज में पंजीकृत (register) होना चाहिये |
एक बार पंजीकृत होने के बाद कंपनी शेयर को सूचीबद्ध (listed ) कर सकती हैं, या ऐसे कहे की कंपनी अपने शेयर को बेचने के लिए जारी कर सकती हैं | जो भी व्यक्ति किसी कंपनी के शेयर खरीदना चाहता हैं, वह ब्रोकर्स (दलाल ) के माध्यम से एक्सचेंज से जुड़ सकते हैं | कोई भी व्यक्ति शेयर बाजार में सीधे शेयर नहीं खरीदता हैं, बल्कि ब्रोकर्स (दलाल) के माध्यम से ही खरीदता हैं | ब्रोकर्स के बारे में हम आगे पढ़ेंगे | तो इस प्रकार शेयर बेचने और खरीदने में कंपनी और ब्रोकर्स के बीच में एक्सचेंज अपनी मध्यस्थता निभाता हैं |
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) भारतीय शेयर बाजार में दो प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज हैं |
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज एशिया का सबसे पुराना एक्सचेंज हैं , जिसकी स्थापना का श्रेय चार गुजरातियों और एक पारसी को जाता हैं | यह सभी सन् 1850 के आस-पास अपने कारोबार के सिलसिले में मुंबई (तब बॉम्बे) के टाउन हॉल (चर्च गेट इलाके ) के सामने बरगद के एक पेड़ के नीचे बैठक किया करते थे | पर्याप्त जानकारी तो नहीं हैं पर तक मेरा मानना हैं ,यह सभी व्यक्ति एक दूसरे के व्यापार में लाभ के लिए अपनी कुछ पूंजी का निवेश करते थे और अपनी हिस्सेदारी (शेयर) खरीदते थे |
साल दर साल बरगद के इस पेड़ के नीचे बैठक करने वाले व्यक्तियों की संख्या में बढ़ोतरी होती रही ,और बढ़ते-बढ़ते 318 व्यक्तियों ने 1 रुपए के प्रवेश शुल्क के साथ शेयर बाजार शुरू किया | यहाँ ये सभी व्यक्ति एकत्रित होते थे और आपस में शेयरों का सौदा किया करते थे |
1875 में इन सभी ने अपना ‘द नेटिव शेयर एण्ड स्टॉक ब्रोकर्स एसोसिएशन ‘बना लिया और साथ ही वर्तमान दलाल स्ट्रीट पर एक ऑफिस भी खरीद लिया जिसे आज ‘बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज’ के नाम से जाना जाता हैं | वर्तमान में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज Ministry of finance (Government of India) के अंतर्गत काम करता हैं | किसी भी नई कंपनी के शेयर के पंजीकृत होने से लेकर कंपनी के शेयर खरीदने से बेचने तक की सभी प्रक्रियाएँ बीएसई के माध्यम से पूरी होती हैं | वर्तमान में BSE में 5749 कंपनियाँ सूचीबद्ध हैं |
SENSEX: – Stock Exchange Sensitive Index
SENSEX, BSE यानी बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का एक सूचक अंक हैं, जिसे सूचकांक कहा जाता हैं | सेंसेक्स के सूचकांक में कोई कंपनी कितनी बड़ी हैं, इस आधार पर देश के 13 अलग -अलग सेक्टर से 30 सबसे बड़ी कंपनियों को शामिल किया जाता है | इसमें टीसीएस, इंफोसिस, हिंदुस्तान यूनीलिवर, रिलायंस, भारती एयरटेल जैसी बड़ी कंपनियाँ शामिल हैं |
सेंसेक्स की शुरुआत 1 जनवरी 1986 को की गई थी। इसमें कुल 30 कंपनियाँ शामिल हैं। इस कारण इसको BSE 30 के नाम से भी जाना जाता है। सेंसेक्स के उतार चढ़ाव से ये पता चलता है कि देश की बड़ी कंपनियों और शेयर बाजार की क्या स्थिति है ?
यदि किसी दिन सेंसेक्स बढ़ता हैं तो यह इस बात का संकेत हैं की देश की 30 बड़ी कंपनियों में आज औसतन तेजी हैं | यदि किसी दिन सेंसेक्स गिरता हैं, तो यह इस बात का संकेत हैं की देश की 30 बड़ी कंपनियों में आज औसतन मंदी हैं | इन कंपनियों के विकास से देश में रोजगार के अवसर बढ़ते हैं ,और इस कारण देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती हैं |
NSE का मतलब नेशनल स्टॉक एक्सचेंज है | यह बाजार पूंजीकरण के मामले में भारत का सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है, जबकि BSE में कंपनियाँ ज्यादा सूचीबद्ध हैं | इसका गठन सन् 1992 में किया गया था और 1993 में स्टॉक एक्सचेंज के रूप में मान्यता प्राप्त हुई | 1994 में इसका संचालन शुरू हुआ | सन् 2000 में इसने भारत में इलेक्ट्रॉनिक या स्क्रीन-आधारित व्यापार की शुरुआत करके शेयर बाजार और व्यावसायिक जगत में क्रांति ला दी थी |
NSE की मुख्य उपलब्धि यह की इसने शेयर बाजार की कागज आधारित प्रणाली को इलेक्ट्रॉनिक माध्यम में बदला और शेयर खरीदना-बेचना आसान बना दिया | इसी की वजह से आज हम इंटरनेट के माध्यम से शेयर बाजार में शेयर खरीद सकते हैं और बेच सकते हैं | वर्तमान में NSE में 1920 कंपनियाँ सूचीबद्ध हैं जिसमें से 1793 कंपनियाँ ही सक्रिय हैं | NSE एक बढ़िया स्टॉक एक्सचेंज हैं यदि आप एक Intraday trader हैं, या कोई ऐसा व्यक्ति जो Derivative (डेरिवेटिव) Future and option में व्यापार करना चाहता है, तो NSE के माध्यम से Trading (व्यापार) कर सकता हैं | क्योंकि NSE में शेयरों का आदान -प्रदान ( Volume ) ज्यादा होता हैं |
यदि आप एक निवेशक हैं ,जो आज शेयर खरीदते और लंबे समय तक शेयर अपने पास रखते तब आप BSE को प्राथमिकता दे सकते हैं | आप चाहे तो NSE के माध्यम से भी निवेश कर सकते हैं | यह आपकी व्यक्तिगत पसंद पर निर्भर करता हैं | इससे आपके निवेश पर कोई असर नहीं पड़ता हैं | मैं NSE के माध्यम से ही Trading और Investment करता हूँ |
नोट :- Trading और Investment में क्या अंतर हैं ? Intraday trading और Derivative (डेरिवेटिव) Future and option क्या होता हैं? इसके बारे में इस पुस्तक में आगे समझाया गया हैं |
NIFTY: – National Stock Exchange FIFTY
जैसे की आप सभी ने बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज और सेंसेक्स के बारे में पढ़ा और यह जाना की सेंसेक्स एक सूचकांक के तौर पर कैसे कार्य करता हैं ? ठीक उसी प्रकार NIFTY-50 भी नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का एक सूचकांक हैं | वर्ष 1995 -1996 के दौरान, NSE ने निफ्टी 50 को NSE के सूचकांक के तौर पर लॉन्च किया। निफ्टी -50 NSE पर सूचीबद्ध लगभग 1920 शेयरों में से 50 सबसे बड़ी कंपनियों के शेयरों के प्रदर्शन को बताता हैं | ये 50 सबसे बड़ी कंपनियाँ विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों से हैं , जो सामूहिक रूप से भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती या कमजोरी को दर्शाती हैं, निफ्टी 50 के उतार -चढ़ाव से हम शेयर बाजार की तेजी या मंदी को समझ सकते हैं |
यदि किसी दिन निफ्टी -50 बढ़ता हैं तो यह इस बात का संकेत हैं की देश की 50 बड़ी कंपनियों में आज औसतन तेजी हैं | यदि किसी दिन निफ्टी-50 गिरता हैं तो यह इस बात का संकेत हैं की देश की 50 बड़ी कंपनियों में आज औसतन मंदी हैं|
Security And Exchange Board of India
SEBI आधिकारिक तौर पर भारत सरकार द्वारा वर्ष 1988 में बनाई गई थी | वर्ष 1992 में, भारतीय संसद द्वारा सेबी एक्ट 1992 पारित होने के बाद सेबी को कानूनी अधिकार दिए गए थे | सेबी का मुख्यालय मुंबई में हैं |
SEBI की आवश्यकता: – शेयर बाजार जैसे बड़े बाजार का प्रबंधन करने और निगरानी करने के लिए एक मजबूत संस्था की आवश्यकता तो शेयर बाजार के निर्माण के समय से ही थी | इसी कमी को पूरा करने के लिए भारत सरकार ने SEBI जैसी बड़ी संस्था का निर्माण किया | जैसे भारत में बैंकों को नियंत्रित करने के लिए Reserve bank of India होता हैं, ठीक उसी प्रकार शेयर बाजार को नियंत्रित करने के लिए SEBI होती हैं |
सेबी बाजार को संतूलित रखने के लिए कई तरह के कार्य करती हैं | सेबी के कुछ प्रमुख कार्य हैं, जैसे Traders और Investors के हितों की रक्षा करना , शेयर बाजार में निवेशकों के लिए एक सुरक्षित और पारदर्शी वातावरण बनाना, मूल्यों में उतार –चढ़ाव के समय निगरानी रखना , Insider trading को रोकना जिसमें कंपनी के कर्मचारी किसी खबर के आने से पहले ही शेयर खरीद लेते हैं या बेच देते हैं ,और साथ ही सभी brokers (दलाल) की गतिविधियों पर नजर रखना | जब भी कोई कंपनी अपना IPO लाती हैं,या शेयर बाजार में आना चाहती हैं,तो सेबी उस कंपनी को अनुमति देती हैं |
अब जैसे की आप सभी लोग जान चुके हैं, की शेयर बाजार में यह तीनों संस्थाएँ किस तरह काम करती हैं | संक्षेप में बात इतनी सी हैं की जब किसी कंपनी को व्यापार विस्तार के लिए अतिरिक्त पूंजी की आवश्यकता होती हैं तो वह कंपनी SEBI के पास जाती हैं, और SEBI जब अपने मापदंड पर कंपनी को सही पाती हैं तो उस कंपनी को शेयर बाजार में सूचीबद्ध होने की अनुमति दे देती हैं |
जिसके बाद कंपनी नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE )और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) दोनों में सूचीबद्ध हो जाती हैं | दोनों में से किसी एक स्टॉक एक्सचेंज में भी कंपनी सूचीबद्ध हो सकती हैं, इसके बाद कंपनी अपना एक IPO ( Initial Public Offering ) लाती है, जिसे प्रारम्भिक तौर पर पूंजी जुटाना कहते हैं |
IPO के माध्यम से कंपनी अपनी 100% हिस्सेदारी में से कुछ हिस्सेदारी BSE और NSE के माध्यम से बाजार में बेचती हैं, और इसके अंदर आम खुदरा निवेशक, घरेलू निवेशक और विदेशी निवेशक सभी अपनी हिस्सेदारी खरीदते हैं, या ऐसे कहे की कंपनी के व्यवसाय में अपनी पूंजी निवेश करते हैं और कंपनी के व्यवसाय में हिस्सेदार बन जाते हैं |
आप यह सोच रहे होंगे की किसी कंपनी में निवेश के बाद किस तरह से एक निवेशक को नफा या नुकसान होता हैं,तो हम आगे इस विषय पर चर्चा करेंगे | मैं उम्मीद करता हूँ की अब आप यह समझ चुके हैं की शेयर बाजार कैसे करता हैं ,और बड़े पैमाने पर शेयर बाजार क्या हैं ?